Goiter Treatment in Hindi : घेंघा गले में होने वाला एक तकलीफदेह रोग है जिसमें थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है। यह आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है‚ जिसे हम सरल भाषा में गलगंड भी कहते हैं। इस रोग में थाइराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने के कारण गले में गांठ बनने लगती है और सूजन आ जाती है जिसके कारण बोलने व खाने–पीने में परेशानियां होने लगती हैं।
यह रोग ज्यातातर उन स्थानों पर होता है जहां के पानी में आयोडीन कम मात्रा में पायी जाती है। घेंघा रोग (Ghenga Rog) को इलाज के द्वारा पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है। इस लेख में घेंघा रोग के लक्षण‚ कारण और उपचार (Ghenga Rog Ka ilaj) के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की गयी है।
घेंघा (गलगंड) रोग क्या है (What is Goiter)
गले में थाइराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने के कारण घेंघा रोग (Ghenga Rog) हो जाता है। थाइराइड तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है जो हमारे गर्दन में पायी जाती है। इस रोग में व्यक्ति के गले में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से रोगी के गले में बहुत दर्द होता है और वह खाने–पीने और बोलने में असमर्थ हो जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को काफी ज्यादा दिक्कत बढ़ जाती है। पुरूषों की अपेक्षा यह रोग महिलाओं में होने की सम्भावना ज्यादा होती है। 30 से 40 वर्ष की उम्र के बाद यह रोग अक्सर देखने को मिलता है। घेंघा रोग को अग्रेंजी में गोइटर (Goiter) कहते हैं।
घेंघा रोग के प्रकार (Types of Goiter)
घेंघा रोग (Ghenga Rog) के चार प्रकार होते हैं। जो निम्नानुसार हैं–
साधारण घेंघा (Simple Goiter)– यह एक साधारण घेंघा रोग है। यह थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने और आयोडीन की कमी के कारण होता है। यह किसी अन्य वजह से नहीं होता है और न ही इसमें किसी प्रकार की गांठे बनती हैं।
नॉन टॉक्सिक घेंघा (Nontoxic Goiter)- यह रोग आयोडीन की कमी के कारण और चयापचय (Metabolism) की क्रियाओं का सामान्य रूप से निष्पादन न होने के कारण होता है। इस तरह के घेंघा रोग में मरीज के गले में सूजन या गांठे नहीं बनती हैं लेकिन थायराइड ग्रन्थि में वृद्धि होने लगती है। थायराइड ग्रन्थि में वृद्धि होने पर शरीर की किसी क्रिया पर कोई ऐसा दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है जो दैनिक दिनचर्या में परेशानी उत्पन्न करे और न ही थायराइड ग्रन्थि के कार्यों पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ता है।
डिफ्यूज टॉक्सिक घेंघा (Diffuse toxic Goiter)- डिफ्यूज टॉक्सिक घेंघा थाइराइड का एक आम रोग है। वृद्ध लोगों में यह रोग ज्यादातर देखा जाता है। इसमें ह्रदय सम्बंधी रोग के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इसमें दवाई बेहतर तरह से काम नहीं करती है इसलिए डॉक्टर डिफ्यूज टॉक्सिक घेंघा के मरीज को सर्जरी की सलाह देते हैं।
टॉक्सिक नोड्यूलर घेंघा (Toxic nodular Goiter)- इसकी शुरूआत साधारण घेंघा रोग से होती है। यह रोग 50 से 55 वर्ष से ज्यादा उम्र वाली महिलाओं को होता है। इसमें रोगी की थायराइड ग्रन्थि का आकार काफी बढ़ जाता है और गले में गांठ बन जाती है। गांठ बनने के बाद थायराइड ग्रंथि हार्मोन का उत्पादन ज्यादा करने लगती है।
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घेंघा रोग के कारण (Causes of Goiter)
विश्वभर में ज्यादातर जगहों पर घेंघा होने का मुख्य कारण आहार से कम मात्रा में आयोडीन लेना होता है इसके अलावा भी घेंघा रोग होने के अन्य कारण भी हो सकते हैं। घेंघा रोग (Ghenga Rog) के कुछ कारण निम्नवत् है-
- ग्रेव्स रोग (Graves disease)- घेंघा रोग होने का एक कारण ग्रेव्स रोग भी है। ग्रेव्स रोग में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा बनाये जा रहे एण्टीबॉडीज जब किसी कारण से थायराइड ग्रंथि की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगते हैं तब वह अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का निर्माण करने लगती है‚ जिसके कारण थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है। इसी सूजन के कारण घेंघा रोग हो सकता है। थायराइड ग्रंथि द्वारा जब जरूरत से अधिक हार्मोन उत्पादन किया जाता है तो उसे हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism) कहते हैं।
- हाशिमोटो रोग (Hashimoto disease)- घेंघा रोग हाशिटोमो रोग के कारण भी हो जाता है। हाशिमोटो को ऑटोइम्यून थायरॉयडिटिस के रूप में भी जाना जाता है। हाशिमोटो रोग में एण्टीथायरॉइड एण्टीबॉडीज थायरॉयड ग्रन्थि की कोशिकाओं को चोट पहॅुचाती हैं। इस प्रतिक्रिया के कारण थायराइड हार्मोन ज्यादा बनने की बजाये कम मात्रा में बनने लगते हैं परन्तु थायराइड ग्रन्थि ज्यादा हार्मोन्स बनाने के लिये पूर्व की भांति सक्रिय बनी रहती है जिसके कारण थायराइड ग्रन्थि में सूजन आ जाती है। इसी सूजन के कारण घेंघा रोग हो जाता है। थायराइड ग्रंथि द्वारा जब जरूरत से कम हार्मोन उत्पादन किया जाता है तो उसे हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) कहते हैं।
- गर्भावस्था (Pregnancy)- गर्भावस्था के समय भ्रूण के विकास हेतु महिलाओं के शरीर में HCG नामक हार्मोन बनने लगता है। कभी–कभी शरीर में इस हार्मोन की वजह से भी थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है।
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घेंघा रोग के लक्षण (Symptoms of Goiter)
जब घेंघा रोग (Ghenga Rog) की बात आती है तो ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि गले में थायराइड ग्रंथि का आकार बढ़ना इसका मुख्य लक्षण होता है। लेकिन ऐसा नहीं है घेंघा रोग के अन्य लक्षण भी होते है।
- सांस लेने मे परेशानी होना।
- खांसी होना।
- गला बैठना ठीक से बोल न पाना
- भोजन व पेय पदार्थ निगलने में दिक्कत होना।
- गले के आसपास दर्द होना।
- कमजोरी महसूस होना।
- ज्यादा भूख लगना।
- शरीर पर ज्यादा पसीना आना।
- महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म होना।
- अचानक वजन कम होना।
- मांसपेशियों मे ऐेंठन।
- बार बार मल आना।
- हर समय घबराहट होना।
घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment in Hindi)
बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि घेंघा रोग (Ghenga Rog) के कई सारे लक्षण नहीं नजर आते हैं। घेंघा रोग का उपचार (Ghenga Rog ka Ilaj) तभी किया जाना चाहिए जब गले में सूजन या अन्य परेशानी महसूस हो।
- जब घेंघा रोग हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) के कारण हुआ हो तब डॉक्टर थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट की गोलियां खाने की सलाह देता है। जब थायराइड ग्रंथि शरीर की जरूरत के अनुसार हार्मोन्स का उत्पादन नहीं कर पाती है तो उस अवस्था को हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism) कहते हैं।
- जब घेंघा रोग हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism) की वजह से हुआ हो तो डॉक्टर आपको रेडियोएक्टिव आयोडीन (Radioactive Iodine) की डोज देकर थायराइड ग्रंथि को सिकोड़ने की सलाह दे सकते हैं। थायराइड ग्रंथि जब ज्यादा थायराइड हार्मोन का स्राव करने लगती है तो उस अवस्था को हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism) कहते हैं।
- उपरोक्त दवाओं या रेडियोएक्टिव आयोडीन डोज के माध्यम से भी यदि घेंघा रोग सही नहीं होता है तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। सर्जरी की मदद से थायराइड ग्रंथि को हटाया जा सकता है और घेंघा रोग को ठीक (Ghenga Rog ka Ilaj) किया जा सकता है।
- जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है तो घेंघा रोग हो जाता है। आयोडीन की कमी से हुये घेंघा रोग को ठीक करने (Ghenga Rog ka Ilaj) के लिये डॉक्टर रोगी को लुगोल आयोडीन (Lugol iodine) या पोटैशियम आयोडीन (Potassium iodine) के घोल का प्रयोग करने की राय देते हैं।
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घेंघा रोग का घरेलू इलाज (Home remedies of Goiter)
घेंघा रोग से आराम पाने के कुछ घरेलू उपाय निम्नलिखित है-
अलसी के बीज से घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment by Flax Seeds)
अलसी के बीज में एंटीइफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सीडेंट के गुण पाये जाते हैं जो घेंघा रोग में हुई सूजन को कम करते हैं व थायराइड ग्रंथि को स्वस्थ रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। अलसी के बीजों में थोड़ा सा पानी डालकर इसका पेस्ट बना लें और फिर इस पेस्ट को अपने गले पर लगायें जिस स्थान पर सूजन हो। जब कुछ देर बाद यह सूख जाये तो इसे पानी से धो दें। इसका प्रयोग दिन में दो बार किया जा सकता है।
घेंघा रोग में अनानास के जूस से लाभ (Goiter Treatment by Pineapple Juice)
अनानास में भी एंटीइफ्लेमेंटरी के गुण पाये जाते हैं जो घेंघा रोग में आई सूजन को कम करता है और रोग को सही करने में मदद करता है। अनानास का जूस विटामिन और खनिज से भरपूर होता है। घेंघा रोग के कारण आयी हुयी सूजन को कम करने के लिये आप प्रतिदिन अनानास के जूस का सेवन कर सकते हैं।
चुकंदर से घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment by Beetroot)
- चुकंदर मे सोडियम, पोटेशियम, फॉस्फोरस, क्लोरीन और बहुत सारे विटामिन्स भी पाये जाते हैं इसके अलावा चुकंदर में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाये जाते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और रोगों से होने वाले संक्रमण से लड़ने में सहायता करते हैं। चुंकदर के नियमित प्रयोग से घेंघा का भी रोग ठीक किया जा सकता है।
- घेंघा रोग में आयी हुयी सूजन को कम करने के लिये चुकंदर के पत्तो का रस में शहद मिलाकर सूजन वाले स्थान पर लगाना चाहिये। नियमपूर्वक ऐसा करने से घेंघा रोग में आई सूजन मे काफी आराम मिल सकता है।
नींबू के रस से घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment by Lemon Juice)
- नींबू में विटामिन–सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह कई सारे रोगों से लड़ने मे हमारी मदद करता है। नींबू मे एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है जो शरीर में संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करता है। नींबू में पाये जाने वाले एंटीइफ्लेमेंटरी के गुण गले में आयी सूजन को ठीक करते हैं।
- घेंघा रोग की सूजन को ठीक करने के लिये सुबह खाली पेट एक चम्मच नींबू के रस में एक लहसुन की कली का पेस्ट और एक चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करना चाहिये। इससे सूजन को कम करने में सहायता मिल सकती है।
नारियल के तेल से घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment by Coconut Oil)
नारियल के तेल में एंटीइफ्लेमेंटरी और एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं इसलिये घेंघा रोग को ठीक करने के लिए नारियल तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह घेंघा रोग में आई सूजन को काफी हद तक कम कर सकता है।
ग्रीन-टी से घेंघा रोग का इलाज (Goiter Treatment by Green Tea)
प्रकाशित शोध के अनुसार ग्रीन टी में एंटी–माइक्रोबियल के गुण मौजूद होते हैं जो शरीर में पाये जाने वाले हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करने में सहायक होते हैं। इसलिये चिकित्सकों के द्वारा यह माना जाता है कि ग्रीन–टी का उपयोग करने से बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होने वाले घेंघा रोग में आराम (Ghenga Rog ka Ilaj) मिल सकता है।
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घेंघा रोग से आराम पाने के लिए योग व व्यायाम ( (Goiter Treatment by Yoga & Exercises)
- सर्वांगासन (Sarvangasana)
- मत्स्यासन (Matsyasana)
- शीर्षासन (Sirsasana)
- हलासन (Halasana)
सर्वांगासन (Sarvangasana) – थायराइड ग्रंथि के लिए सबसे अच्छा व्यायाम सर्वांगसन होता है। थायराइड ग्रंथि शरीर में सबसे बड़ी रक्त सप्लाई ग्रंथि होती है इस व्यायाम को प्रतिदिन करने से रक्त परिसंचरण अच्छा होता है। इस आसन को करने के लिए कंधो को ऊपर की ओर उठाना पड़ता है।
मत्स्यासन (Matsyasana)- घेंघा रोग में सर्वांगसन आसन के अलावा आप मत्स्यासन भी कर सकते हैं। मत्स्यासन को करने से गले पर खिंचाव होता है जिससे थायराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ता है। इस आसन को करने लिए आपको मछली की तरह बनना पड़ता है यानि मछली की तरह पोज करना होता है।
शीर्षासन (Sirsasana)- थायराइड ग्रंथि को ठीक रखने के लिए यह सबसे उत्तम आसन होता है। इसको करने से मेटाबोलिक फंक्शन अच्छा रहता है। और साथ ही शरीर में स्फूर्ति भी रहती है।
हलासन (Halasana)- थायराइड ग्रंथि को ठीक करने के लिए सर्वांगासन और मत्स्यासन के बाद हलासन करना चाहिए। ये तीन आसन सबसे महत्वपूर्ण हैं इस आसन मे आपको ऐसे करना होता जैसे आप हल चला रहें हो। ऐसा करने से थायराइड ग्रंथि पर दबाव पड़ता है।
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घेंघा रोग में आपको क्या खाना चाहिए (What should you Eat in Goiter)
- पुराने चावल, जौ, लहसुन, मूंग दाल, पटोला, सहजन, ककड़ी, और गन्ने का रस, दूध आदि का सेवन करना चाहिए।
- गाजर, टमाटर, प्याज, अमरूद, अंडे खट्टे फल क्योंकि ये सभी आयरन से भरपूर होते है।
- अनानास या अनानास का जूस, केला।
- घेंघा रोग में आपको क्या नहीं खाना चाहिए
- घेंघा रोग में आपको कुछ चीजों से परहेज करना चाहिए जैसे–
- फूलगोभी
- आडू
- मूंगफली
- पालक
- कॉफी
- शराब
- मक्का
- मूली
घेंघा रोग से बचाव (Goiter Prevention)
- घेंघा रोग यदि शुरूआती अवस्था में है तो रोगी इसको अपने आहार में बदलाव करके ठीक कर सकता है। थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आयोडीन को सही मात्रा में लेना बहुत आवश्यक है।
- हर व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। आयोडीन का मुख्य स्रोत नमक है। आधा चम्मच नमक में 150 MCG आयोडीन पाया जाता है। इसलिये प्रतिदिन प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को आधा चम्मच साधारण नमक आवश्य प्रयोग में लाना चाहिये। आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करने से घेंघा रोग से बचाव किया जा सकता है।
- धूम्रपान के कारण भी घेंघा रोग होता है इसलिए रोग से बचाव के लिए आपको स्मोकिंग से दूर रहना चाहिए।
घेंघा रोग में डॉक्टर की परामर्श कब लेनी चाहिए (When to Take Doctor Advise In Goiter)
- गले में थायराइड ग्रंथि का आकार ज्यादा बढ़ने की वजह से सांस ठीक प्रकार से न ले पाने‚ खाद्य एवं पेय पदार्थ निगलने में अधिक कठनाई होने पर आपको तुरन्त डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
- ज्यादा कमजोरी महसूस होने पर।
- मांसपेशियों में अधिक ऐंठन होने पर।
- गले पर अधिक सूजन आ जाने व ज्यादा दर्द होने पर।
- महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म होने पर।
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घेंघा रोग के में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न व उनके उत्तर
घेंघा रोग किसकी कमी से होता है।
घेंघा रोग मुख्य रूप से आयोडीन की कमी के कारण होता है।
घेंघा रोग होने का क्या कारण है।
जब गले में थायराइड ग्रंथि अधिक थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने लगती है तब घेंघा रोग हो जाता है।
क्या घेंघा रोग को ठीक करने के लिए घरेलू इलाज किये जा सकते हैं।
जी हां आप घेंघा रोग को ठीक करने के लिए घरेलू उपचारों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
घेंघा रोग के सामान्य लक्षण क्या क्या होते हैं।
घेंघा रोग के सामान्य लक्षण जैसे गले पे सूजन आ जाना, भूख न लगना, खाद्य व पेय पदार्थ का सेवन न कर पाना‚ होते हैं।
घेंघा रोग में आपको किन चीजों का सेवन करना चाहिए।
आपको प्रतिदिन आयोडीन युक्त आहार का प्रयोग करना चाहिए। आयोडीन का सेवन करने से काफी हद तक घेंघा रोग को ठीक किया जा सकता है।
क्या घेंघा रोग को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है।
जी हां‚ घेंघा रोग को परमानेंट सही किया जा सकता है लेकिन इसके लिए कुछ समय या महीने लगते हैं यदि दवाइयों से घेंघा रोग ठीक नहीं होता है तो सर्जरी की मदद से घेंघा रोग को हमेशा के लिए ठीक किया जा सकता है।
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