अमलतास के फायदे और उपयोग | Amaltas Benefits in Hindi

Amaltas Benefits in Hindi : हमारे देश में प्राचीन काल से ही आयुर्वेद के माध्यम से कई रोगों का उपचार किया जाता रहा है। इन उपचारों के लिये कई प्रकार के औषधियां भारत के प्रत्‍येक भूभागों में हमेशा से पायी जाती रही हैं। इनमें कई औषधियां हमारे आस –पास भी होती हैं‚ जिनके बारे हमें कोई जानकारी नहीं होती है। ऐसी ही औषधियों में अमलतास प्रमुख है। अमलतास के फूलों और फलों को आयुर्वेद में कई प्रकार के उपचारों में प्रयोग किया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार अमलतास के पेड़ औषधीय गुणों का खजाना माना जाता है इसलिये अमलतास के औषधीय गणों से परिचित कराने के लिये इस लेख में विस्‍तृत रूप से जानकारी उपलब्‍ध करायी गयी है।

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अमलतास क्या है | What is Amaltas

कई प्राचीन ग्रन्थों में अमलतास (Amaltas Tree) का विवरण मिलता है। अमलतास का वृक्ष मध्यम आकार का होता है। इसकी पत्तियां आकार में बड़ी होती हैं । अमलतास के पुष्प चमकदार पीले रंग के होते हैं कई लोग इन फूलों का प्रयोग घर की सजावट के लिए भी करते हैं । अमलतास पर जब फूल खिले हुये होते हैं तो इसकी सुन्‍दरता देखते ही बनती है। इसलिये इसे सुन्दर वृक्ष की संज्ञा भी दी गयी है । अपनी सुन्‍दरता के साथ– साथ यह प्राचीन काल से ही कई रोगों के उपचारों में प्रयोग होता रहा है। इस वृक्ष के फल, फूल‚जड़ तथा पत्तियों को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है ।

अन्य भाषाओं में अमलतास के नाम | Amaltas Name in Other Languages

भारत एक काफी बड़ें भू–भाग में बसा हुआ है जिसमें अनेकों भाषायें बोली जाती हैं इसलिये भारत में अमलतास के वृक्ष को अमलतास के अलावा विभिन्‍न क्षेत्रीय भाषाओं अलग –अलग नामों से पुकारा जाता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला (Cassia Fistula) है। इसके अन्‍य भाषाओँ में नाम निम्‍नवत् हैं –

Hindi अमलतास, सियरलाठी, सोनहाली
English कैसिया (Cassia), परजिंग स्टिक (Purging stick), पॅरजिंग कैसिया (Purging cassia),गोल्डन शॉवर (Golden shower), इण्डियन लेबरनम (Indian laburnum)
Sanskrit आरग्वध, चतुरङ्गुल, आरेवत, व्याधिघात,राजवृक्ष, शम्पाक, कृतमाल, सुवर्णक, कर्णिकार, स्वर्णाङ्ग, स्वर्णफल, परिव्याध, द्रुमोत्पल, दीर्घफल
Oriya सुनारी (Sunari)
Urdu अमलतास (Amaltas)
Kannada कक्केमरा (Kakkemara)
Assamese सोनारू (Sonaru)
Tamil कावानी (Kavani), कोन्डरो (Kondro),कोरैकाय (Karaikaya),सरकोन्नै (Sarakonnai),
Gujarati गर्मालो (Garmalo)
Nepali अमलतास (Amaltas)
Telugu आरग्वधामु (Aragvadhamu), सम्पकमु (Sampakamu)
Marathi बाहवा (Bahawa)
Arabic खियार-शन्बर (Khiyar-shanbar)
Persian ख्यार-शन्बर (Khyar-shanbar)
Malayalam कणिकोन्ना (Kanikkonna)

अमलतास पेड़ के उपयोगी भाग (Useful Parts of Amaltas Tree)

अमलतास का प्रयोग कई रोगों को दूर करने के लिये किया जाता है जिसमें अमलतास के पेड़ के निम्नलिखित भागों को प्रयोग किया जाता है–

  • अमलतास के पत्ते
  • अमलतास की फली
  • अमलतास वृक्ष के फूल
  • अमलतास वृक्ष के बीज
  • अमलतास की जड़
  • तने की छाल
  • फल का गूदा

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अमलतास के फायदे | Amaltas Benefits in Hindi

अमलतास का उपयोग भारत की पारम्‍परिक चिकित्सा प्रणाली में किया जाता है । आयुर्वेद में इसे कब्ज़ , त्वचा रोग, बुखार तथा पाचन जैसी समस्याओं को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है । अमलतास के फायदे निम्न प्रकार हैं :-

अमलतास से त्वचा रोगों में लाभ | Amaltas Benefits in Skin

त्वचा की जलन‚ सूजन और दर्द को दूर करने के लिये अमलतास की पत्‍तियों को प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा दाद जैसी समस्‍याओं को दूर करने में भी इसकी पत्‍तियां काफी लाभदायक होती है। इस समस्‍याओं को ठीक करने के लिये अमलतास के पत्‍तों को रस या पेस्‍ट बना लेना चाहिये। रस या पेस्‍ट को प्रभावित स्‍थान पर लगाने से कुछ ही दिनों में जलन‚दर्द‚सूजन और दाद जैसी समस्‍याओं से निजात पायी जा सकती है।

खांसी के इलाज के लिए अमलतास का सेवन दे आराम | Amaltas Benefits in Cough

  • मौसम बदलते ही कई लोगों को सर्दी‚ खांसी और जुकाम हो जाता है। इनमें से ही कुछ लोगों को सर्दी–जुकाम ठीक होने के बाद भी सूखी खांसी की समस्या बनी रहती है। अमलतास सूखी खांसी में काफी लाभदायक होता है। इसमें आराम पाने के लिये एक भाग अमलतास के फल की गिरी और तीन भाग पिसी हुयी चीनी (बूरा) को पानी में मिलाकर चाशनी बना लेनी चाहिये। इस चाशनी को दिन में तीन से चार बार चाटने से सूखी खांसी को ठीक करने काफी मदद मिलती है।
  • सर्दी की वजह से लोगों को कफ की शिकायत हो जाती है। जिस व्‍यक्‍ति को कफ की ज्‍यादा शिकायत हो गयी हो उसको अमलतास का प्रयोग करने से काफी लाभ हो सकता है। कफ की समस्या को दूर करने के लिये अमलतास की फल की गिरी को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी और मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाकर काढ़ा बना लेना चाहिये। इस काढ़े को पीने से काफी पुराना कफ निकल जाता है।

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बुखार में अमलतास वृक्ष के लाभ | Amaltas Benefits in Fever

  • बुखार की समस्या मौसम बदलने पर या किसी अन्य कारणों से ज्यादातर व्यक्तियों को हो जाती है। इससे आराम पाने के लिए अमलतास की फली (Amaltas ki Phali), मोथा‚ कुटकी‚हरीतकी, एवं पिप्पली की जड़ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर इसका काढ़ा बना लेना चाहिये। इस काढ़े को सुबह शाम पीने से बुखार उतर जाता है।
  • अमलतास के पेड़ की जड़ भी बुखार को कम करने में सहायक होती है। अमलतास के पेड़ की जड़ को कूट कर लुगदी बना लेना चाहिये फिर इस लुगदी में पानी मिला कर इसे उबालना चाहिये। जब यह पानी आधा रह जाय जो इस काढ़े को छान कर इसमें स्‍वाद के अनुसार शहद या मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिये। इसे प्रतिदिन दो बार पीने से कुछ ही दिनों में बुखार से राहत मिल जाती है।

अमलतास के उपयोग से बढ़े इम्युनिटी | Amaltas Benefits in Immunity Increase

  • अमलतास के फल और फूल में एण्टी–ऑक्‍सीडेन्‍ट पाये जाते हैं जो शरीर की इम्‍यूनिटी बढ़ाने में सहायता करते हैं इसलिये कई इम्‍यूनिटी बढ़ाने की आयुर्वेदिक टेबलेट‚ कैप्‍सूल और सीरपों में अमलतास की छाल‚ फल और फूल का प्रयोग किया जाता है। इम्‍यूनिटी को बढ़ाने के लिये अमलतास की छाल और फल और फूल से घर पर भी काढ़ा बनाया जा सकता है।
  • इम्‍यूनिटी को बढ़ाने के लिये अमलतास की छाल और फल को एक–एक चम्‍मच की मात्रा में लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकाना चाहिये। जब यह पानी उबल कर आधा रह जाये तो ठण्डा होने पर इसको छान कर पीना चाहिये। ऐसा प्रतिदिन करने से शरीर में इम्‍यूनिटी का संचार होना शुरू हो जाता है।

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अमलतास के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज | Amaltas Benefits for Piles Treatment

अमलतास के प्रयोग से बवासीर को भी ठीक करने में काफी मदद मिलती है।

  • मदार‚ करंज के बीज‚निसोंथ‚ प्‍याज के बीज‚ नागकेसर ‚ आमला‚ बहेड़ा के साथ बराबर की मात्रा में अमलतास के फूल को मिल कर चूर्ण बना लेना चाहिये। प्रतिदिन सुबह शाम इसकी तीन ग्राम मात्रा का सेवन करने से बवासीर के रोग में लाभ मिलता है।
  • अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों‚हल्‍दी‚ कपूर और एलोवेरा को एक साथ पीस कर पेस्‍ट बना लेना चाहिये। इस पेस्‍ट को बवासीर के मस्‍से पर लगाने से दर्द‚ जलन और सूजन में काफी आराम मिलता है।

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डायबिटीज में अमलतास से लाभ | Amaltas Benefits for Controlling Diabetes

अमलतान डायबिटीज के स्‍तर को सही करने में काफी मददगार होता है। 10 ग्राम अमलतास के पत्‍तों और 10 ग्राम जामुन की गुठली के चूर्ण को 300 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबालना चाहिये। जब यह पानी उबल कर एक तिहाई रह जाय तो इसको छानकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट पीना चाहिये। कुछ दिनों तक इस काढ़े का सेवन करने से डायबिटीज के स्‍तर को सुधारा जा सकता है।

कुष्ठ रोग में अमलतास के गुणों से लाभ | Amaltas Benefits in Leprosy Treatment

अमलतास का प्रयोग शरीर की बाहरी त्‍वचा पर हुये कई रोगों में लाभ पहुंचाने का कार्य करता है।

  • दाद‚ खाज‚ खुजली के अलावा यदि किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग या चर्म रोग है तो वह अमलतास के पत्तों और जड़ के प्रयोग लाभ पा सकता है। अमलतास के पत्तों अथवा जड़ को पीसकर पेस्‍ट बना लेना चाहिये। इस पेस्‍ट को लगाने से कुष्ठ रोग के साथ –साथ दाद‚खाज और खुजली जैसे रोगों में लाभ मिल सकता है।
  • विशेषकर कुष्ठ रोग में लाभ पाने के लिए कुटज की छाल और अमलतास की पत्तियों को बराबर की मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लेना चाहिये। इस काढें के सेवन से कुष्‍ठ रोग में लाभ होता है।

रक्तपित्त (हेमोप्टाइसिस ) की समस्या में अमलतास के उपयोग से फायदा | Amaltas Benefits in Haemoptysis Treatment

कभी – कभी किसी की नाक और कान से खून के बहने लगता है जो रक्‍तपित्‍त के कारण होता है। रक्‍तपित्‍त में अमलतास के फल के प्रयोग से काफी लाभ मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को नाक या कान से खून बहने की समस्‍या हो तो उसको 50 ग्राम अमलतास फल के गूदा में 20 ग्राम शहद मिलाकर सुबह और शाम लेना चाहिये। कुछ दिन तक इसका सेवन करने से नाक-कान से खून आने की समस्‍या से निजात मिल सकती है।

अमलतास से कब्ज का इलाज |Amaltas Benefits in Constipation

  • अमलतास के फूल और फलों का प्रयोग कब्‍ज को दूर करने में भी किया जाता है। इसके लिये अमलतास के फूलों का गुलकन्‍द बना कर सेवन करना चाहिये। इसको खाने से आंतें क्रियाशील होने लगती हैं और पाचन तंत्र सुधर जाता है जिसके कारण कब्‍ज की परेशानी धीरे –धीरे ठीक हो जाती है।
  • अमलतास के फलों के गूदा और मुनक्‍का को एक साथ लेने से भी पाचन तंत्र ठीक होता है और कब्‍ज की समस्‍या समाप्‍त होने लगती है।

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गठिया (जोड़ों के दर्द) रोग में अमलतास के फायदे |Amaltas Benefits in Arthritis

अमलतास गठिया (जोंड़ों के दर्द ) के रोग में भी आराम दिलाने का कार्य करता है। इसके लिये अमलतास के पत्‍तों को गर्म करके किसी कपड़ें के माध्यम से दर्द वाले स्‍थान पर बांधना चाहिये। कुछ समय तक ऐसा करने से गठिया के दर्द में फायदा मिल सकता है। इसके अलावा जोड़ों के दर्द में राहत पाने के लिये अमलतास के फल के गुदे और अमलतास के पत्‍तों का पेस्‍ट बना लेना चाहिये और इस पेस्‍ट को दर्द वाले स्‍थान पर लगाना चाहिये। इस प्रयोग से भी गठिया (जोड़ों के दर्द) रोग में काफी आराम मिल सकती है।

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घाव को सुखाने में अमलतास दे लाभ | Amaltas Benefits in Healing of Chronic Wounds

किसी व्यक्ति को चोट लगने के कारण या किसी अन्‍य कारण से घाव हो जाता है तो उसे सुखाने में अमलतास काफी महत्‍तवपूर्ण भुमिका निभाता है। जल्‍दी से घाव सुखाने के लिये अमलतास‚ चमेली और करंज के पत्‍तों को एलोवेरा और गाय के मूत्र के साथ पीस कर गीला–गीला पेस्‍ट बना लेना चाहिये। पुराने से पुराने घावों पर इस लेप को लगाने से वह जल्‍दी भर जाता है।

टॉन्सिल की समस्या में अमलतास के उपयोग से लाभ | Amaltas Benefits in Tonsil

टान्सिल की समस्या हो जाने पर अमलतास का काढ़ा काफी लाभप्रद साबित होता है। 10 से 15 ग्राम अमलतास की जड़ को एक गिलास पानी में डाल कर तब तक पकायें जब तक वह पानी आधा न रह जाय। बचे हुये आधे पानी को यदि बूंद–बूंद करके मुंह में डाला जाय तो टांन्‍सिल में हो रहे दर्द में काफी आराम मिलात है।

पीलिया में अमलतास के फायदे | Amaltas Benefits in Jaundice

पीलिया रोग में आयुर्वेदाचार्य अमलतास के फल और बीजों का प्रयोग करते हैं। इसके फल के गूदे में या बीजों के चूर्ण में आंवला का रस मिलाकर पीने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

निष्‍कर्ष (Conclusion)

अमलतास एक महत्‍वपूर्ण पेड़ है इसलिये प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति द्‍वारा अमलतास के पेड़ को अपने घर के बाहर‚ सड़क के किनारे‚ खेतों या बागों में अवश्य लगाना चाहिये। इसकी मदद से घरेलू उपचारों के माध्यम से कई असाध्य बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है। यह पेड़ बीमारियों को दूर करने के साथ साथ पर्यावरण को सुधारने में भी मदद करता है। अमलतास का पेड़ मानव को प्रकृति द्‍वारा प्रदत्‍त किया गया एक अनमोल वरदान है। अतः इसकी उपयोगिता को दृष्‍टिगत रखते हुये प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को इसकी उपलब्‍धता बनाये रखने के प्रयास करते रहना चाहिये।

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FREQUENTLY ASKED QUESTIONS(FAQs)

अमलतास के क्या क्या फायदे हैं?

अमलतास कई रोगों में औषधि के रूप में कार्य करता है। इसके द्‍वारा त्‍वचा रोग‚ बवासीर‚ कब्‍ज‚ पीलिया‚गठिया‚ आंतो के रोग‚ डायबिटीज जैस कई रोगों का उपचार किया जाता है।

अमलतास के अन्य नाम क्या है ?

अमलतास को संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम, आरग्वध, कर्णिकार इत्यादि, गुजराती में गरमाष्ठो, बँगला में सोनालू ,मराठी में बहावा, कर्णिकार तथा लैटिन में कैसिया फ़िस्चुला कहते हैं।

अमलतास का सेवन कैसे करते हैं?

अमलतास के फल‚फूलों और जड़ का सेवन कई बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। इसलिये इसका सेवन करने का तरीका और विधि बीमारी के अनुसार बदलती रहती है।

अमलतास के फूल कैसे रंग के होते हैं?

अमलतास के पेड़ की ऊँचाई 5 से लेकर 15 मीटर हो सकती है और इस पर सुनहरे पीले रंग के फूल आते हैं।

अमलतास का फूल कितने दिनों तक खिलता है?

बसंत ऋतु के बाद अप्रैल से मई महीनों में अमलतास के पेड़ों पर जो पीले-पीले फूल आते हैं जो देखने में काफी सुन्‍दर लगते हैं। यह फूल 15 दिन से लेकर 30 दिन तक ही खिले रहते हैं।

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