दारूहल्दी के फायदे और नुकसान | Daruhaldi Benefits in Hindi

Daruhaldi Benefits in Hindi: दारूहल्दी एक बहुत उपयोगी जड़ी बूटी है‚ इसमें कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं। दारूहल्‍दी के फायदों के बारे में कई आयुर्वेदिक ग्रन्‍थों में बताया गया है। इस औषधि का उपयोग सदियों से चिकित्सा के लिए होता आ रहा है। दारूहल्दी का प्रयोग अनेक रोगों के उपचार में किया जाता है जैसे कान के रोग, आंखों की बीमारी, घाव को ठीक करने, कुष्‍ठ रोग इत्यादि।

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दारूहल्दी (दारुहरिद्रा) क्या है (What is Daruhaldi)

दारूहल्दी एक औषधि है। इसका का पौधा छोटा होता है और इसके तने की छाल खुरदरी और खांचयुक्त होती है। दारूहल्दी के पत्तों का रंग गहरा हरा और चमकीला होता है तथा इसके पत्ते आकार में लम्बें, चौड़े और आकर्षक होते है। इसमे मार्च से अप्रैल में छोटे-छोटे फूल आते है और मई से जून में (7-10 मिमी) लम्बे अण्डाकार लाल या श्यामले-नीले रंग के फल आने लगते है। दारूहल्दी की जड़ और तने से ही रसौंत (रसांजन) बनायी जाती है जिसका प्रयोग भी कई प्रकार की बीमारियों में किया जाता है।

दारूहल्दी कहां पायी जाती है (Where is Daruharidra Found)

भारतवर्ष में दारूहल्दी नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों और समशीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में दो हजार से तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर पायी जाती है। विश्व में दारूहल्दी नेपाल, भूटान और श्रीलंका में (2000-2300 मीटर ) की ऊंचाई पर भी पायी जाती है। इसके अलावा समशीतोष्ण कटिबंधी एवं उपउष्णकटिबंधीय एशिया, यूरोप और अमेरिका में पाई जाती है।

मुख्य रूप से दारूहल्‍दी की तीन किस्में मिलती हैं। तीनों नस्लों में से दारुहरिद्रा का उपयोग उपचार के लिए किया जाता है।

  • दारुहरिद्रा (Berberis aristata Tree turmeric)
  • मांगल्यकी जड़म् (Berberis lycium Royle)
  • वनमांगल्या (Berberis asiatica ex DC.)

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अन्य भाषाओं में दारूहल्दी के नाम (Daruhaldi Name in Other Languages)

दारूहल्‍दी को अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। दारुहलदी का वानस्पतिक नाम बरबेरिस एरिस्टैटा (Berberis aristata) हैं। दारूहल्‍दी के अन्‍य नाम जैसे-

भाषानाम
हिन्दी (Hindi) दारूहल्‍दी, दारुहरदी, उत्तराखण्ड-किंगोरा
अंग्रेजी (English) इण्डियन बर्बेरी, ट्री टरमेरिक, नेपाल बर्बेरी
संस्कृत (Sanskrit) दार्वी, दारुहरिद्रा, पर्जन्या, पीता, पीतद्रु, पीतद, पीतदारु, पीतक, हरिद्रव, पर्जनी
गुजराती (Gujrati) दारुहलदर (Daruhaldar)
तेलुगू (Telugu) मानिपुसपु (Manipusupu), दारूहरिद्रा (Daruharidra), कस्थूरी पुष्पा (Kasthoori pushpa)
तमिल (Tamil) मर मंजिल (Mar manjal), उसिक्कला (Usikkala),
बंगाली (Bengali) दारुहरिद्रा (Daruharidra)
नेपाली (Nepali) चित्रा (Chitra), केस्से (Kissie)
मराठी (Marathi) दारुहल्दी (Daruhaldi), जरकि हलद (Jarki halad)
पंजाबी (Punjabi) सुमलु (Sumalu), सीमलु (Simalu)

दारूहल्दी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Daruhaldi)

दारूहल्दी के लगभग सभी भागों का उपयोग रोगों को ठीक करने में किया जाता है। इसके उपयोगी भाग निम्‍नलिखित हैं-

  • तना
  • तने की छाल
  • फल
  • लकड़ी
  • जड़
  • जड़ की छाल

दारूहल्‍दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Hindi)

दारूहल्‍दी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, इसके उपयोग से डायबिटीज (मधुमेह) को कम करने, गठिया, जोड़ों के दर्द मे राहत पाने, सूजन कम करने, त्वचा संबंधी बीमारियों को ठीक करने इत्यादि में मदद मिलती है। चलिये इस लेख में आगे दारूहलदी के फायदों के बारे में एक–एक करके विस्तारपूर्वक जानते हैं।

खूनी बवासीर में दारूहल्दी से लाभ (Daruhaldi Benefits in Bleeding Piles)

दारूहल्दी या रसोंत का प्रयाेग खूनी बवासीर में किया जाता है। यह खूनी बवासीर में आने वाले रक्त को रोकने में मदद करती है और मस्सों को सुखाने का भी कार्य करती है।

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आंखों के रोगों को दूर करने में दारूहल्‍दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Eye Disease)

दारूहल्दी के उपयोग से आंखों की बीमारियों को दूर करने में मदद मिलती है। आंखों की समस्‍याएं जैसे आंखों का लाल होना, आंखों में खुलजी होना, कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) इत्यादि। दारूहल्दी के पाउडर को दही या मक्खन में मिलाकर आंखों के बहारी हिस्से पर लगाने से आंखों में होने वाले इन्फेक्‍शन को दूर करने में सहायता मिलती है।

कुष्ठ रोग में दारूहल्दी से लाभ (Daruhaldi Benefits in Leprosy)

दारूहल्‍दी के औषधीय गुणों से कुष्‍ठ रोग में लाभ होता है। कुष्ठ रोग के घाव को ठीक करने के लिए दारूहल्‍दी की छाल के पेस्‍ट को सरसों तेल में पकाने के बाद इस तेल को छान कर घाव पर लगाने से घाव ठीक होता है। या दारूहल्‍दी के 2-4 ग्राम पेस्‍ट को गोमूत्र के साथ खाने से भी कुष्‍ठ रोग में लाभ होता है।

बुखार को ठीक करने में दारूहल्दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Fever)

दारूहल्‍दी एक औषधीय गुणों वाली जड़ी–बूटी है इसके उपयोग से बुखार की समस्‍या ठीक होती है। दारूहल्‍दी की जड़ की छाल का काढ़ा बना कर पीने से साधारण और गम्‍भीर दोनों तरह के बुखार में फायदा होता है।

घाव को सुखाने में दारूहल्दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Heals Chronic Wounds)

दारूहल्‍दी का उपयोग सदियों से रोगों को ठीक करने के लिए होता आ रहा है। दारूहल्‍दी की जड़ की छाल को पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्‍दी सूख कर ठीक हो जाता है।

सूजन की समस्‍या में दारूहल्दी से लाभ (Daruhaldi Benefits in Reducing Inflammation)

दारूहल्‍दी में सूजन-रोधी गुण मौजूद होते हैं, जो सूजन को ठीक करने मदद करते हैं। दारूहल्‍दी की जड़ का पेस्‍ट बनाकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर सूजन वाली जगह पर लेप करने से सूजन ठीक होती है। (1)

आंखों की बीमारी में दारूहल्दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Eye Disease)

आंखों में होने वाली बीमारियां जैसे आंखों का लाल होना, आंखों में सूजन आना, आंखों में खुजली होना इत्‍यादि। आंखों के रोगो को ठीक करने के लिए दारूहल्दी का प्रयोग कई तरह से कर सकते है जैसे-

  • 50 ग्राम दारूहल्‍दी के पेस्‍ट को सोलह गुना पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को शहद के साथ मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगाने से ओंखों में होने वाली जलन, सूजन, खुजली इत्‍यादि में लाभ होता है।
  • दारूहल्‍दी से बनायी जाने वाली रसांजन को आंखों में लगाने से भी आंखों में होने वाली बीमारियां ठीक होती हैं।
  • रसांजन, हरीतकी, सेंधा नमक और गैरिक को समान मात्रा में मिलाकर लेप बना लें‚ इस लेप को पलकों पर लगाने से पलकों पर होने वाले रोगों से राहत मिलती है।

दारूहल्दी से जुकाम की समस्‍या में लाभ (Daruhaldi Benefits in Cold Problem)

दारूहल्‍दी का प्रयोग सदियों से रोगों को ठीक करने के लिए होता आ रहा है। दारूहल्‍दी की छाल को पीस कर वर्ति बनाकर सुखा लें, सूखने के बाद वर्ति का धूम्रपान करने से जुकाम की समस्‍या ठीक होती है।

मुंह की बीमारियों को दूर करने में दारूहलदी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Oral Disease)

दारूहल्‍दी के काढ़े से रसांजन बना लें, इस रसांजन का शहद के साथ सेवन करने से मुंह की बीमारी, रक्‍त विकार (हेमेटोलॉजिक) और साइनस की समस्‍या में लाभ होता है। मुंह में होने वाले छालों को ठीक करने के लिए दारूहल्‍दी, चमेली के पत्‍ते, त्रिफला, जवासा, गुडूची और द्राक्षा को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े को शहद में मिलाकर सेवन करना चाहिए।

कफज की समस्‍या में दारूहल्दी के उपयोग से लाभ (Daruhaldi Benefits in Kafaj Disorder)

दारूहल्‍दी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं। दारूहल्‍दी का पेस्‍ट बना कर गोमूत्र के साथ सेवन करने से कफज की समस्‍या ठीक होती है।

पीलिया रोग में दारूहल्दी के इस्तेमाल से फायदा (Daruhaldi Benefits in Jaundice)

पीलिया की समस्‍या होने पर दारूहल्‍दी के 5-10 ML रस में एक चम्‍मच शहद मिलाकर सेवन करने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं। या दारूहल्‍दी, गोमूत्र, और कालीयक को मिलाकर पेस्‍ट बना ले, इस पेस्‍ट को भैंस के घी में पका कर 5 ग्राम मात्रा का सेवन सुबह शाम करने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

एनीमिया रोग में दारूहल्दी के उपयोग से लाभ (Daruhaldi Benefits in Anemia)

एनीमिया के रोग में लाभ पाने के लिए 5-10 ML दारूहल्दी के रस या 10-30 ML दारूहल्दी काढ़े में शहद मिलाकर दिन में एक बार सेवन करना चाहिए।

ल्यूकोरिया में दारूहल्दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Leukorrhea)

ल्‍यूकोरिया की समस्‍या को ठीक करने के लिए दारूहल्‍दी का उपयोग कई तरह से किया जा सकता है जैसे-

  • दारूहल्‍दी से रसौत बनाकर बकरी के दूध के साथ खाने से ल्‍यूकोरिया का रोग ठीक होता है।
  • रसौत और चौलाई की जड़ को मिलाकर पेस्‍ट बना ले, इस पेस्ट में शहद मिलाकर चावल की धोवन के साथ सेवन करने से ल्‍यूकोरिया की समस्‍या मे लाभ होता है।
  • दारूहल्‍दी, रसांजन, नागरमोथा, बिल्‍वमज्‍जा, भल्‍लातक, चिरायता और वासा के पत्तों को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में एक चम्‍मच शहद मिलाकर सेवन करने से भी ल्‍यूकोरिया रोग ठीक होता है।

मूत्र रोग में दारूहल्दी के उपयोग से लाभ (Daruhaldi Benefits in Urinary Problems)

दारूहल्‍दी एक बहुत ही उपयोगी जड़ी–बूटी है। इसके पाउडर का सेवन शहद के साथ करने से मूत्र रोग में लाभ होता है।

सूजाक को ठीक करने में दारूहल्दी के फायदे (Daruhaldi Benefits in Gonorrhea)

दारूहल्‍दी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, जो रोगों को ठीक करने में मदद करते हैं। दारूहल्‍दी के पेड़ के तने का काढ़ा बना लें‚ इस काढ़े में हल्‍दी मिलाकर लगाने से सूजाक रोग में लाभ होता है।

डायबिटीज (मधुमेह) में दारूहल्दी के उपयोग से फायदा (Daruhaldi Benefits in Diabetes)

दारूहल्‍दी का उपयोग रोगों को ठीक करने के लिए वर्षों से होता चला आ रहा है। दारूल्हदी का काढ़ा बनाकर 10-30 ML काढ़े का सेवन शहद के साथ सुबह शाम करने से डायबिटीज की समस्‍या में लाभ होता है। (2)

दांतो के दर्द में दारूहल्दी के लाभ (Daruhaldi Benefits in Toothache)

दारूहल्दी के फल का काढ़ा बनाकर काढ़े से कुल्ला करने से दातों और मसूडों में होने वाला दर्द दूर होता है और मसूडे मजबूत होते है।

सांप के काटने पर दारूहल्दी के प्रयोग से लाभ (Daruhaldi Benefits in Snake Biting)

दारूहल्‍दी के औषधीय गुणों के बारे में कई आयुर्वेदिक ग्रन्‍थों बताया गया है। सांप के काटने पर दारूहल्‍दी और हल्‍दी को सांप के काटे गये स्‍थान पर लगाने से लाभ होता है।

दारूहल्दी से मोटापे की समस्‍या में लाभ (Daruhaldi Benefits in Weight Loss)

दारूहल्‍दी के औषधीय गुणों से मोटापे की समस्‍या में लाभ होता है। दारूहल्‍दी से बनी रसांजन को अरणी की छाल से बने काढ़े के साथ खाने से मोटापा कम होता है।

साइनस की समस्या में दारूहल्दी के उपयोग से लाभ (Daruhaldi Benefits in Sinus)

साइनस का रोग होने पर दारूल्हदी से बनी रसौत, हल्दी, दारूहल्दी, मंजीठ, नीम के पत्ते, निशोथ, तेजोवती और दन्ती को समान मात्रा में मिलाकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट का लेप करने से साइनस रोग में लाभ होता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

दारूहल्‍दी का उपयोग वर्षों से रोगों को ठीक करने के लिए होता चला आ रहा है। दारूहल्‍दी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं, इसके उपयोग से सूजन, कुष्‍ठ, बुखार, साइनस, सूजाक, ल्‍यूकोरिया इत्‍यादि रोगों में फायदा होता है। दारूहल्‍दी के फायदों के बारे में कई आयुर्वेदिक ग्रन्‍थों में बताया गया है।

FREQUENTLY ASKED QUESTIONS(FAQs)

त्वचा के लिए दारूहल्दी का उपयोग कैसे करें ?

आयुर्वेद के अनुसार त्वचा जलने पर शहद या गुलाब जल के साथ दारूहल्दी के चूर्ण का लेप करने से रोपन गुण के कारण त्‍वचा को जल्दी ठीक करने में सहायता मिलती है।

दारूहल्दी के क्या फायदे हैं ?

दारूहल्‍दी का सेवन करने से कई रोगों में फायदा होता है जैसे गठिया, जोड़ो के दर्द, सूजन, त्‍वचा रोग, बुखार, सांप के काटने पर, कुष्‍ठ रोग इत्‍यादि।

दारूहल्दी क्या है ?

दारूहल्दी एक औषधीय गुणों वाला पौधा है, जो मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र में मिलता है। हिन्दी में इसे दारूहल्दी और अंग्रेजी में इण्डियन बर्बेरी के नाम से जाना जाता है। इसका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में किया जाता है।

दारूहल्दी कैसे खाएं ?

दारूहल्दी के खाने का तरीका हर रोग में अलग-अलग होता है। जैसे दारूहल्दी की जड़ की छाल को पीसकर, इसे घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूखता है।

क्या दारूहल्दी पाउडर बाजार में मिलता है ?

दारूहल्दी का पाउडर बाजार में आसानी से मिल जाता है। इसे आयुर्वेदिक मेडिकल से या ऑनलाइन खरीदा जा सकता है।

क्या इंडियन बरबेरी (दारूहल्दी) का उपयोग पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में किया जा सकता है ?

जी हां, इंडियन बरबेरी का उपयोग पेट से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में किया जा सकता है। इंडियन बरबेरी में बर्बेरिन नामक एक निश्चित घटक पाया जाता है। जो भूख में सुधार कर पाचन को काबू में करता है।

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