अर्जुन की छाल के फायदे, उपयोग और नुकसान – Arjun Ki Chaal Benefits in Hindi

अर्जुन पेड़ एक बड़ा और महत्वपूर्ण और औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह मध्यम आकार का पेड़ आमतौर पर 15 से 25 मीटर की ऊंचाई का होता है, जिसका वैज्ञानिक नाम Terminalia arjuna है। अर्जन पेड़ की पत्तियाँ हरी और लकड़ी की तरह होती हैं और इसके फूल धूप से बचे रहते हैं। इस पेड़ के छोटे लाल फूल इसकी छवि को और भी आकर्षक बनाते हैं। भारत में अर्जुन जाति के कम से कम पन्द्रह प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं। तीन साल की अवधि में एक वृक्ष से छाल निकलती है। बाहर से सफेद, अंदर से मोटी, चिकनी और हल्के गुलाबी रंग की छाल होती है। हृदय राेगों के लिये अर्जुन की छाल बहुत उपयोगी (Arjun Ki Chaal Benefits) होती है।

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अर्जन क्या है (What is Arjan )

अर्जुन वृक्ष एक औषधीय वृक्ष है। यह वृक्ष, जिसे कहुआ और सादड़ी नाम से जाना जाता है, एक पूरे साल हरा–भरा रहने वाला पेड़ है। यह नालों के किनारे, हिमालय की तराई और शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में आमतौर पर मिलता है। चिकित्‍सा जगत में अर्जन पेड़ कई गुणों के लिए विख्यात हैं। आयुर्वेद में इसकी छाल से हृदय रोग में काफी फायदा होता है इसके अलावा इससे कर्इ अन्‍य प्रकार के शारीरिक रोगों का भी उपचार किया जाता है। अर्जुन का वृक्ष पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन और जल संचयन को बढ़ावा देता है। वृक्षों, पौधों और पर्यावरण के संरक्षण के लिए अर्जन पेड़ वनस्पति जगत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

अन्य भाषाओँ में अर्जन (Arjuna) के नाम

अन्य भाषाओं में इसे घवल, ककुभ और नदीसर्ज भी कहते हैं, क्योंकि यह नालों के किनारे पाया जाता है। अर्जुन को कॉम्ब्रेटेसी (कॉम्ब्रेटेसी) कुल में Arjuna myrobalan (अर्जुन मायरोबलान) कहा जाता है। कई स्‍थानों पर इस वृक्ष को कहुआ और सादड़ी नाम से भी जाना जाता है। इसे हिन्‍दी और English में निम्‍न नामों से भी पुकारा जाता है –

Hindi- अर्जुन, काहू, कोह, अरजान, अंजनी, मट्टी, होलेमट्ट
English- व्हाइट मुर्दाह (White murdah)

अर्जन कहाँ पाया जाता है ? (Where is Arjuna found ?)

हमारे देश में अर्जुन प्रत्‍येक जगह जैसे नदियों और नालों के किनारे‚ खेत– खलिहानों के किनारे और वनों में पाया जाता है। इसके औषधीय गुणों के कारण लोग इसे घरों के सामने या सड़क के किनारे लगाना भी पसन्‍द करते हैं। इसके पेड़ 15 से 25 मीटर लम्‍बे होते हैं।

अर्जुन का उपयोगी भाग (Useful Parts of Arjuna)

हमारे देश में अर्जुन का प्रयोग विभिन्‍न प्रकार से आयुर्वेद में किया जाता रहा है। घरेलू उपायों के माध्यम से कई प्रकार की शारीरिक समस्‍याओं को दूर करने के लिये और आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण में अर्जुन के तने की छाल, जड़, पत्ता और फल का प्रयोग किया जाता है।

अर्जुन के फायदे (Arjun Ki Chaal Benefits)

आयुर्वेदिक चिकित्सा में अर्जुन की छाल का विशेष महत्व है और इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। इसके कुछ लाभ निम्नलिखित हैं-

हृदय को स्वस्थ रखे अर्जुन की छाल (Benefits of Arjun Chaal for a Healthy Heart )

मानव हृदय को स्वस्थ रखना और रक्तचाप को नियंत्रित करना, अर्जन की छाल का मुख्य कार्य है।अर्जन छाल का सेवन हृदय रोगों से बचाव करने में काफी मदद कर सकता है और कोलेस्ट्रॉल को भी कम कर सकता है।
एक चम्मच महीन अर्जुन छाल के चूर्ण को हर दिन सुबह-शाम मलाई रहित एक कप दूध के साथ लेने से हृदय के सभी रोगों में लाभ मिलता है, हृदय शक्ति प्राप्त करता है और हृदय की कमजोरी दूर होती है। अर्जुन की छाल के कपड़छन चूर्ण हृदय रोगों पर इन्जेक्शन से भी अधिक प्रभावी होता है।

कान के दर्द में अर्जुन के फायदे (Benefits of Arjun Tree for Ear Pain)

अर्जुन के पत्‍ते कान के दर्द में बहुत लाभ प्रदान करते हैं। कान दर्द में राहत पाने के लिये अर्जुन के पत्ते का 3-4 बूँद रस कान डालना चाहिये। इससे कुछ देर में ही कान के दर्द में आराम मिलने लगता है।

पेट की गैस ऊपर आने में करे मदद अर्जुन की छाल ( Arjuna for Burping)

अर्जुन की छाल पेट की एसीडिटी को कम करने में काफी उपयोगी है। 10 से 20 मिलीग्राम अर्जुन छाल के काढ़े को नियमित रूप से पीने से उदावर्त्त या पेट की गैस ऊपर आती है, जो एसिडिटी को कम करता है।

अर्जुन रक्तातिसार या पेचिश से दिलाये राहत (Arjuna Beneficial in Dysentery)

रक्तातिसार या पेचिश में लाभ पाने के लिये 5 से 7 ग्राम अर्जुन छाल चूर्ण को 250 मिलीग्राम गोदुग्ध और लगभग बराबर मात्रा में पानी के साथ धीमी आंच पर पकाएं। कुछ देर पकाने पर जब दूध ही शेष रह जाए तब उतार लेना चाहिये और गुनगुना होने पर उसमें 10 ग्राम मिश्री या शक्कर मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीना चाहिये। इसको पीने से हृदय रोग में काफी आराम मिलता है। इसको पीने से रक्‍त अतिसार और रक्तपित्त में भी काफी आराम मिलता है।

डायबिटीज को कंट्रोल करने में सहायक अर्जुन की छाल (Advantages of Arjun Chaal for Diabetes Management)

डायबिटीज में अर्जुन की छाल का काढ़ा बहुत फायदेमंद होता है। इसके लिये नीलकमल, हल्‍दी‚ आमलकी की छाल, नीम की छाल और अर्जुन की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर पानी में पका लेना चाहिये। खूब पक जाने के बाद यह काढ़ा तैयार हो जाता है फिर इस प्रतिदिन 10 से 20 मिलीलीटर काढ़े में एक चम्‍मच मधु मिलाकर सुबह खाली पेट पीना चाहिये । इसको पीने से पित्तज-प्रमेह में बहुत ज्‍यादा लाभ होता है।

हड्डी जोड़ने में करे मदद अर्जुन (Arjuna Chaal Beneficial in Bone Fracture)

हडि्डयों को जोड़ने में अर्जुन की छाल का प्रयोग सदियों से होता चला आ रहा है। जो निम्‍न प्रकार है–

  • कुछ हफ्ते तक एक चम्मच अर्जुन छाल चूर्ण को दिन में तीन बार एक कप दूध के साथ लेने से हड्डी मजबूत होती है। टूटी हुई हड्डी या भग्न अस्थि की जगह पर इसकी छाल को घी में पीसकर लगाना चाहिये। इस प्रक्रिया को करने से टूटी हड्डी काफी जल्‍दी जुड़ सकती है।
  • अर्जुन की छाल का क्षीरपाक बना लेना चाहिये और इस क्षीरपाक की 15 से 30 मिलीलीटर मात्रा में 5 से 6 ग्राम घी और मिश्री मिला लेना चाहिये और इसे पीना चाहिये। इस तरह अर्जुन की छाल के द्‍वारा अस्थि भंग (टूटी हड्डी) में फायदा होता है।

अल्सर का घाव करे ठीक अर्जुन की छाल (Arjuna Chal used to Heals Ulcer)

अल्‍सर में अर्जन की छाल काफी फायदेमंद साबित होती है। जब अल्सर का घाव सूखने में समय लगता है या दूसरा घाव आसपास निकलता है, तो अर्जुन खाना बहुत फायदेमंद होता है। अल्सर के घावों को ठीक करने के लिए अर्जुन छाल को पीसकर काढ़ा बनाकर पीना काफी लाभदायक होता है।

पिंपल्स से छुटकारा दिलाने में सहायक अर्जुन की छाल (Arjuna chaal to Treat Pimples)

आजकल वातावरण काफी प्रदूषित हो गया है जिसका सीधा असर हमारी त्‍वचा पर पड़ता है जिसके कारण लोगों के चेहरे पर मुँहासे हो जाते हैं। अर्जुन की छाल का चूर्ण मधु में मिलाकर मुँहासों पर लेप लगाने से काफी फायदा मिलता है। लेप लगाने से इसकी छाल मुँहासों को तो हटाती है और इसके साथ-साथ ही यह चेहरे की चमक को भी बढ़ा देती है।

सूजन के समस्या में अर्जुन का प्रयोग (Arjuna to Treat Inflammation)

अर्जुन का काढ़ा शरीर के अंगों में आयी हुयी सूजन को कम करने में काफी सहायक है। इसके अलावा गंगरेन की जड़ के पाउडर में अर्जुन की जड़ की छाल का पाउडर बराबर की मात्रा मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम दो–दो ग्राम की मात्र में हल्‍के गरम पानी या दूध के साथ लेना चाहिये इससे सूजन और दर्द में काफी राहत मिलती है। ल के चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में लेने से दर्द और सूजन कम हो जाती है।

बुखार में फायदेमंद है अर्जुन की छाल (Arjun Chal Is Helpful for Fever)

बुखार को ठीक करने में अर्जुन की छाल का उपयोग किया जाता है। इसके लिये अर्जुन की छाल का काढ़ा बनाकर पिया जाता है। प्रतिदिन 15 से 20 मिलीलीटर अर्जुन की छाल का काढ़ा पीने से बुखार से काफी राहत मिलती है। इसके अलावा बुखार में अर्जुन छाल से बना पेस्ट या रस का सेवन करने से भी लाभ मिलता है।

क्षय रोग या टीबी में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Beneficial in Tuberculosis)

अर्जुन का औषधीय गुण तपेदिक या क्षय रोग के लक्षणों को कम करता है। इसके लिये अर्जुन की छाल‚ नागबला और केवाँच बीज के पाउडर को बराबर की मात्रा में मिला लेना चाहिये। इस बने हुये पाउडर की 3–4 ग्राम मात्र में शहद‚घी और मिश्री मिलाकर रोज दूध के साथ पीने से टी०बी० और खाँसी जैसे रोगो में जल्दी राहत मिलती है।

रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना) में फायदेमंद अर्जुन (Arjuna Chal Beneficial Haemoptysis)

यदि आप रक्तपित्त से पीड़ित हैं तो अर्जुन का सेवन करने से आपको जल्दी राहत मिलेगी। 2 चम्मच अर्जुन छाल को पूरी रात जल में भिगोकर रखें और सुबह उसे उबालकर काढ़ा बना लें। इसको पीने से रक्तपित्त में लाभ मिलता है।

अर्जुन कों इस्तमाल करने का तरीका (How to use Arjuna )

अर्जुन का सेवन और इस्तेमाल बीमारी के लिए पहले ही बताया गया है। यदि आप किसी विशिष्ट बीमारी के इलाज के लिए अर्जुन का उपयोग कर रहे हैं तो आपको अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार आप 2-4 ग्राम अर्जुन के चूर्ण, 20-40 मिलीग्राम पत्ते का काढ़ा या 5-10 मिलीग्राम अर्जुन का रस का सेवन कर सकते हैं।

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प्रश्न उत्तर (FAQs)

अर्जुन पेड़ क्या है ?

भारत में पाया जाने वाला अर्जुन पेड़, जिसका वैज्ञानिक नाम “Terminalia arjuna” है, एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पेड़ है। आयुर्वेदिक गुणों के कारण इस पेड़ का कई बीमारियों में प्रयोग किया जाता है।

अर्जुन पेड़ की विशेषता क्या है ?

अर्जुन के पेड़ में अनेकों बीमारियों को ठीक करने के आयुर्वेदिक गुण पाये जाते हैं। शारीरिक बीमारियों को ठीक करने में इसकी छाल सर्वाधिक प्रयोग में लायी जाती है। इसलिये यह पेड़ आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्‍थान रखता है। पेड़ का आकार मध्यम है और इसके लाल फूल हैं।

अर्जुन पेड़ के औषधीय गुण क्या हैं ?

अर्जुन पेड़ की छाल में हृदय स्वास्थ्य, रक्तचाप, रक्त शुगर और अन्‍य शारीरिक समस्याओं का समाधान करने वाले लाभकारी गुण हैं।

क्या घर पर अर्जुन पेड़ उगाना संभव है ?

अर्जुन पेड़ को उगाना संभव है, लेकिन उचित देखभाल और जलवायु की आवश्यकता होती है।

अर्जुन पेड़ का उपयोग करने से कोई नकारात्मक प्रभाव होता है ?

अर्जुन की छाल आम तौर पर सुरक्षित है, लेकिन डॉक्टर की सलाह पर ही प्रयोग करनी चाहिए, खासकर अगर कोई और बीमारी का इलाज चल रहा है।

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