Drakshasava Syrup Uses in Hindi : द्राक्षासव एक आयुर्वेदिक सीरप है। इसे कई आयुर्वेदिक दवा निर्माता कम्पनियों के द्वारा बनाया जाता है। द्राक्षासव का उल्लेख प्रचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थों में मिलता है। मुख्य रूप से इसका उपयोग कामला (पीलिया) और बवासीर जैसे रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा Drakshasava Syrup के प्रयोग करने से नेत्र, गला और त्वचा से जुड़े कई रोगों में भी लाभ मिलता है जिनके बारे में इस लेख में आगे विस्तारपूर्वक बताया गया है।
किसी भी सीरप को उपयोग में लेने से पहले उसके उपयोग, फायदे और नुकसान के बारे में अवश्य जान लेना चाहिए। आज के इस लेख में हम द्राक्षासव सीरप के उपयोग, फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से जानेगें।
Manufacturer | Baidyanath, Dabur |
Ingredients | Draksha, Madhu, Dhataki, Kankola, Lavanga, Jatiphala, Maruca, Ela, Tejapatra, Nagakesra, Pippali, Citraka, Cavya, Pippalimula, Renuka |
M.R.P. | 195-00 Rs (450 ML per Bbottle- Baidyanath Company ) |
द्राक्षासव सीरप में सम्मिलित औषधियां (Drakshasava Syrup Ingredients in Hindi)
द्राक्षासव सीरप को बनाने में कई जड़ी–बूटियों का प्रयोग किया जाता है‚ जो निम्नानुसार हैं–
द्राक्षा (Draksha) – द्राक्षा को हिन्दी में अंगूर, द्राक्ष और दाख के नाम से जाना जाता है। अंगूर में कई गुण मैजूद जैसे कफनिसारफ, आर्तववर्धक और रक्तवर्धक इत्यादि। इसका सेवन करने से बुखार, खांसी और पीलिया जैसे रोगों में लाभ होता है।
शहद (Madhu) : प्राचीन काल से ही शहद का उपयोग औषधि के रूप में होता चला आ रहा है। शहद में पोषक तत्व, खनिज और विटामिन प्रचुर मात्रा मे मौजूद होते हैं। शहद का सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका सेवन करने से खांसी और कब्ज जैसे रोगों से भी राहत मिलती है।
धातकी (Dhataki) : धातकी का वानस्पतिक नाम Woodfordia fruticosa है इसका उपयोग औषधि के रूप में होता है। धातकी का प्रयोग करने बुखार, सफेद पानी की समस्या, प्लीहा रोग इत्यादि फायदा होता है।
कंटोला (Kankola) : कंटोला का वानस्पतिक नाम Momordica dioica है। कंटोला के प्रयोग से कई रोगों में लाभ होता है जैसे खांसी, बुखार, बवासीर, सिरदर्द इत्यादि।
लौंग (Lavanga) : आयुर्वेदिक ग्रंन्थों में लौंग के उपयोग से जुड़ी कई जानकारियां मिलती हैं। लौंग का प्रयोग करने से भूख बढ़ाने, उल्टी और सांस से जुड़े रोगों में लाभ होता है।
ऊपर बतायी गयी जड़ी–बूटियों के अतिरिक्त द्राक्षासव को बनाने में Jatiphala, Maruca, Ela, Tejapatra, Nagakesra, Pippali, Citraka, Cavya, Pippalimula, Renuka औषधिओ का भी प्रयोग किया जाता है। ये औषधियां भी कामला (पीलिया), पांडू रोग, बवासीर, खांसी को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभातीं हैं।
और पढ़ें– बवासीर को जड़ से समाप्त करने की टॉपटेन दवायें
द्राक्षासव सीरप के उपयोग और फायदे (Drakshasava Syrup Uses in Hindi)
द्राक्षासव एक आयुर्वेदिक सीरप है और इसे आसव भी कहा जाता है। यह Baidyanath और Dabur कम्पनियों के द्वारा बनाया जाता है। द्राक्षासव का उपयोग नेत्र, गला, त्वचा, कामला (पीलिया) और बवासीर जैसे रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है इसके सेवन से होने वाले फायदे निम्न हैं-
द्राक्षासव से होने वाले फायदे (Drakshasava Syrup Benefits in Hindi)
द्राक्षासव से नेत्र रोग में लाभ (Drakshasava Syrup Benefits in eye diseases in Hindi)
द्राक्षासव को आयुर्वेदिक जड़ी–बूटियों से मिला कर बनाया जाता है। इसमे मौजूद Pippali और Ela नेत्र के विकारों को दूर करने में सहायक होतीं हैं। इसलिए इसका सेवन नेत्र काफी लाभप्रद होता है।
कामला (पीलिया) की समस्या में द्राक्षासव के सेवन से फायदा (Drakshasava Syrup Benefits in Jaundice in Hindi)
पीलिया रोग में द्राक्षासव सीरप के सेवन से लाभ होता है इसमें Draksha और Citraka जैसी औषधियां मौजूद होती हैं जो पीलिया की समस्या को ठीक करने में मदद करती हैं।
बवासीर (Piles) की बीमारी में द्राक्षासव सीरप से लाभ (Drakshasava Syrup Benefits in Piles in Hindi)
द्राक्षासव के सेवन से बवासीर की समस्या में फायदा होता है इस सीरप को कई औषधिओं से मिला कर बनाया जाता है इसमें उपस्थित Pippali पाइल्स जैसे रोग को दूर करने में सहायता करती है।
त्वचा और गले से जुड़े रोगों में द्राक्षासव से फायदा (Drakshasava Syrup Benefits inskin and throat diseases in Hindi)
द्राक्षासव को कई जड़ी–बूटियों से मिलाकर बनाया जाता है इसमें उपस्थिति Madhu और Pippali गले और त्वचा से जुड़ी बीमारियों को दूर करने में मदद करतीं हैं।
और पढ़ें– एक किलो चुकंदर खाने से कितना खून बढ़ता है
द्राक्षासव सीरप की सेवन विधि (How to Use Drakshasava Syrup in Hindi)
द्राक्षासव सीरप का उपयोग नेत्र, गला, त्वचा, कामला (पीलिया) और बवासीर जैसे रोगों को दूर करने के लिए किया जाता है। द्राक्षासव सीरप की सेवन विधि रोगी के रोग, वजन और आयु के अनुसार निर्धारित की जाती है इसलिए इसका सेवन डॉक्टर के अनुसार ही करना चाहिए ताकि बीमारी के अनुसार सही खुराक और सही समय ज्ञात हो सकते।
द्राक्षासव सीरप की खुराक (Drakshasava Syrup Dosage in Hindi)
कई रोगों में लाभ पाने के लिये इसकी खुराक निम्नानुसार होती है–
- पीलिया रोग को दूर करने के लिए द्राक्षासव सीरप को दिन में दो बार 3 से 6 चम्मच सीरप में सीरप की मात्रा के बराबर पानी मिलाकर सेवन किया जा सकता है। इस सीरप का सेवन भोजन के पश्चात की करना चाहिए।
- नेत्र को दूर करने के लिए 30ML सीरप को दिन दो बार खाना खाने के बाद पीना चाहिए।
- त्वचा और गले से जुड़े रोगों को दूर करने के लिए 30ML सीरप को दिन में दो बार भोजन के पश्चात लेना चाहिए।
द्राक्षासव सीरप से होने वाले साइड इफेक्ट (Drakshasava Syrup Side Effects in Hindi)
द्राक्षासव एक आयुर्वेदिक सीरप है इसका सेवन करने वाले व्यक्तियों पर भी तक कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया है यदि इस आसव को लेने से आपको कोई साइड इफेक्ट हो रहा है तो इसका सेवन करना तुरन्त बन्द कर देना चाहिए और किसी अच्छे डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
द्राक्षासव सीरप से जड़ी कुछ सावधानियां (Drakshasava Syrup Precautions in Hindi)
- द्राक्षासव सीरप का सेवन करने से पहले उसके के लेबल पर दी गयी जानकारी को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए।
- डॉक्टर द्वारा निर्धारित खुराक का सेवन करना चाहिए।
- इसे छोटे बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए।
- द्राक्षासव सीरप को पीने से पहले एक्सपायरी डेट जरूर देख लेनी चाहिए।
- इस सीरप को अन्य दवाओं के साथ लेने से पहले डाक्टर से परामर्श जरूर लेना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
Drakshasava Syrup के उपयोग से नेत्र, गला, त्वचा, कामला (पीलिया) और बवासीर जैसे रोगों में फायदा मिलता है। इस सीरप को आयुर्वेदिक जड़ी–बूटियों से मिलाकर बनाया जाता है इसका सही मात्रा में सेवन करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। लेकिन रोगी को इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए ताकि रोग के अनुसार सीरप की सही मात्रा और सीरप लेने का उचित समय ज्ञात हो सके।
और पढ़ें– बवासीर के मस्सों को सुखाने की दस सर्वश्रेष्ठ दवायें
Frequently Asked Questions (FAQ)
द्राक्षासव सीरप पीने से क्या फायदा होता है।
द्राक्षासव सीरप का सेवन करने से नेत्र, गला, त्वचा, कामला (पीलिया) और बवासीर जैसे रोगों में फायदा मिलता है।
द्राक्षासव सीरप का सेवन कब करना चाहिए।
द्राक्षासव सीरप का सेवन भोजन करने के पश्चात करना चाहिए।
Baidyanath Drakshasava की कीमत क्या है।
Baidyanath Drakshasava की कीमत 195-00 Rs (450 ML per bottle) है।
ये भी पढ़ें–
विको टरमरिक क्रीम के उपयोग, फायदे और नुकसान
लिव 52 सीरप के उपयोग, फायदे और नुकसान